कर्म का विज्ञान #562676

di DadaBhagwan

Dada Bhagwan Vignan Foundation

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कर्म क्या है? क्या अच्छे कर्म बुरे कर्मों को धो सकते हैं? अच्छे लोग दुःखी क्यों होते हैं? कर्म बंधन को कैसे रोका जा सकता है? शरीर या आत्मा, कर्म से कौन बंधा हुआ है? जब हमारे कर्म खत्म हो जाते हैं तब हमारी मृत्यु होती है। सारी दुनिया और कुछ नहीं बल्कि कर्म का सिद्धांत है। बंधन का अस्तित्व पूरी तरह आप पर निर्भर है, उसके लिए आप खुद ही जिम्मेदार हैं। सब कुछ तुम्हारा चित्रण है। अपने शरीर के निर्माण के लिए भी आप जिम्मेदार हैं। आपके सामने जो कुछ भी आता है वह आपके द्वारा चित्रित किया गया है; इसके लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। अनंत जन्मों के लिए “संपूर्ण रूप से सिर्फ” आप ही जिम्मेदार हैं। परम पूज्य दादाश्री कहते हैं कि कर्मों के बीज पूर्व जन्म में डाले गए थे और उनका फल इस जन्म में मिल रहा है। इन कर्मों का फल कौन देता है? भगवान? नहीं। वह कुदरत या जिसे ‘साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स’ कहते हैं, वह देती है। परम पूज्य दादाश्री ने अपने ज्ञान द्वारा कर्मों के विज्ञान को जैसा है, वैसा ही जाहिर किया है। अज्ञानता के कारण, कर्मों को भोगते समय राग-द्वेष होता है, जिससे नए कर्म बंधते हैं जो अगले जन्म में परिपक्व होते हैं और भोगने पड़ते हैं। ज्ञानी नए कर्मों के बंधन को रोकते हैं। जब सभी कर्म पूर्ण रूप से खत्म हो जाते हैं, तब अंत में मोक्ष होता है।karma,law of karma,karma in life lessons,science of karma,knowledge of the self,knowledge of self,principle of karma,spirituality and karma
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Altre informazioni:

ISBN:
9789386289568
Formato:
ebook
Anno di pubblicazione:
2016
Dimensione:
413 KB
Lingua:
Altre lingue
Autori:
DadaBhagwan
Protezione:
nessuna