दादा भगवान कौन ? #562249

di DadaBhagwan

Dada Bhagwan Vignan Foundation

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अम्बालाल मुल्जिभई पटेल (जिन्हें हम दादा भगवान के नाम से जानते है), इन्हें जून १९५८ में सूरत स्टेशन पर आत्मा के पूर्ण साक्षात्कार का अनुभव हुआ| मूल भादरण में एक बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे अम्बालाल भाई कोन्त्रक्टोर का धंधा करते थे| जून १९५८ की एक शाम वह वड़ोदरा जाने के लिए सूरत स्टेशन पर, अँधेरा होने से पहले अपना शाम का भोजन समाप्त कर, ट्रेन का इंतज़ार कर रहे थे| जब उनका नौकर उनका डब्बा धोने के लिए गया तब उन्हें संपूर्ण ब्रम्हांड का ज्ञान केवल ४८ मिनिटों में हुआ| जगत कौन चलता है? मैं कौन हूँ? मोक्ष क्या है? मुक्ति का अर्थ क्या है? मोक्ष कैसे प्राप्त हो सकता है इत्यादि प्रश्नों का उत्तर उन्हें उन ४८ मिनिटों में हुआ| यह आत्म साक्षात्कार केवल एक ही जन्म का फल नहीं था परंतु उनकी जन्मो जनम की खोज का नतीजा था| ‘दादा भगवान’, इस शब्द का प्रयोग उनके भीतर प्रकट हुए भगवान को संबोधित करने के लिए किया जाने लगा| A.M Patel, शादी शुदा थे पर उन्हें बचपन से ही सनातन सुख और शाश्वत धर्म को जानने की कुतूहलता रहती थी| ऐसे अद्वितीय इंसान, मतलब अम्बालाल भाई ने जून १९५८ में लोगो को आत्मा ज्ञान प्राप्त करवाने का आसान तरीका खोज निकला जिसे उन्होंने ‘अक्रम विज्ञान’ कहा|
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Altre informazioni:

ISBN:
9789386289506
Formato:
ebook
Anno di pubblicazione:
2016
Dimensione:
622 KB
Lingua:
Altre lingue
Autori:
DadaBhagwan